शिव

स्वयं से बोध होगा,
तभी मन शिव होगा;

हटकर देह से ध्यान,
चेतना की ओर लगेगा
तभी मन शिव होगा।

रहकर विषयों के मध्य,
जीव मोहपाश से बचेगा
तभी मन शिव होगा।

रमाकर देह पे राख,
मसान में उत्सव मनेगा
तभी मन शिव होगा।

हटकर मूर्त से ध्यान,
अमूर्त की ओर लगेगा
तभी मन शिव होगा।

शून्यता का बोध होगा,
तभी मन शिव होगा।


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