जीवन
शून्य नीरस है, इसके सानिध्य में रस कहाँ ! अनहद नाद है, आकाश में गूँजते शब्द कहाँ ! सीख गए या सिखा दिए गए जाने कौन ? किस साँचे में ढाल दिए गए या ढल गए; शायद यही जीवन है , इसमें हमारी तुम्हारी मर्ज़ी की कहाँ....!
सर्वश्रेष्ठ वहाँ है, जहाँ बंधन नहीं! जहाँ बंधन नहीं, वहाँ कविता है।