मां
माँ ने जब लोरी गाई नींद दौड़ कर आई, माँ ने जब मरहम लगाई चोट भर आई, मुझमें उसने अपनी दुनिया बसाई! जब भी रोया वो खिलौना बनकर आई, हर पल मुझे वो ख़ुशी देकर मुस्कुराई.. चहल-कदमी करते गिरता सब डाँटते थे! बस माँ ही गोद में बिठाकर पूछती थी, मेरे राजा बेटे तुझे चोट तो नहीं आई।