वेदना
हम जो कहना चाहते हैं, वो नहीं कहेंगे तो कौन कहेगा ! हम जो सहते हैं, वो नहीं सहेंगे तो कौन सहेगा ! कौन वेदना से आजतक बच पाया है ? शब्द भी अधूरे रह जाते हैं, जब वेदना की बात आती है। जीवन का यह पहलू अनकहा ही रह जाता है। मानो कोई उपजाऊ ज़मीन रहकर भी फल न देती हो!