वेदना

 हम जो कहना चाहते हैं,

वो नहीं कहेंगे तो

कौन कहेगा !


हम जो सहते हैं,

वो नहीं सहेंगे तो

कौन सहेगा !


कौन वेदना से 

आजतक 

बच पाया है ?


शब्द भी अधूरे रह जाते हैं,

जब वेदना की बात आती है।


जीवन का यह पहलू

अनकहा ही रह जाता है।


मानो कोई 

उपजाऊ ज़मीन 

रहकर भी 

फल न देती हो!



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