संयोग
शब्दों से व्यक्त करके
मैं मेरी भावनाओं को
प्रदार्थ रूप नहीं दूँगा।
प्यार , नफरत , साथ
मिलन , विरह, वेदना
यहाँ जो भी घटता है
सब संयोग मात्र है ।
शून्यता की परिधि से
हटाकर अंतःप्रज्ञा को
नित्य रूप नहीं दूँगा ।
शब्दों से व्यक्त करके
मैं मेरी भावनाओं को
प्रदार्थ रूप नहीं दूँगा।
प्यार , नफरत , साथ
मिलन , विरह, वेदना
यहाँ जो भी घटता है
सब संयोग मात्र है ।
शून्यता की परिधि से
हटाकर अंतःप्रज्ञा को
नित्य रूप नहीं दूँगा ।
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