सम्बन्ध

 गर्मागर्मी में कही बातें

झुलसा देती है रिश्तों को

ज्यों आग कर देती है  

सारा बना बनाया राख़।


एक पल में बिखर जाता है

ये अंतर्मन का ताना बाना  

ज्यों तूफ़ान कर देता है

घोंसलों को बर्बाद।


यह पीड़ा, यह टूटन  

खोखला कर देती है संबंधों को

ज्यों सूखी नदी किनारे 

खड़ी हो जर्जर नाँव।



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