प्रेम
प्रेम स्वतंत्र बंधन है।
यह स्वयं में दूसरे के होने की संभूति है,
सलीके और तरीके का एक सुंदर मिलन है।
मेरा प्रेम कसमों और वादों से परे होगा,
जो मुक्त है, वो सीमित नहीं! अनंत होगा।
चाँद तारों के उपमान औरों की जूठन से लगते हैं..
अब ! और मेरा किसी उपमान का मोहताज़ नहीं !
पीड़ा में पीड़ित, चोट में चोटिल होगा,
प्रेम एक साथ है, जो साथ साथ होगा।
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