चुनाव

सूरज को लेकर रथ आता है।

रथी रात भर चलता रहता होगा..

उसकी राह में भी रोड़ा पड़ता होगा!

वह भी स्याह अंधेरे से घबराता होगा ।

वैसे भी जिसे आना होता है।

वह हर हाल में आकर रहता है..

मंज़िल अपनी पाकर रहता है।

हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहना 

सरल है। शायद! जो रह जाता है,

वह सरलता को चुनता होगा..!

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