वेदांत

पश्चिम के दर्शन से अलग क्यों है, भारतीय दर्शन!
ऐसा क्या सिखाते हैं हमारे दर्शन? 
तुम लोग वेदांत वेदांत करते हो क्या है वो?


हमारा वेदांत क्या सिखाता है?


वेदांत में पुरुष के साथ आत्मा को संगी बताया है 
और पुरष व आत्मा पुरुषत्व और स्त्रीत्व को हमारे अंदर प्रतिपादित करता है।

स्त्री पुरुष का केवल बाहरी शरीर अलग दिखता है,
किंतु! चेतना के स्तर पर वह एक समान होता हैं।

जो व्यक्ति इस एकत्व को जी गया, समझ गया...
उसके सामने नग्न अवस्था में भी कोई स्त्री आ जाए 
तो उस व्यक्ति में उस स्त्री को देखकर कामुकता भाव नहीं आएगा।

कामुकता का भाव केवल उस स्त्री के प्रति होगा, 
जिस स्त्री को उस व्यक्ति ने स्वयं अपनी अर्धांगिनी चुना हो; 
तथा वह कामुकता का भाव भी उच्च स्तरीय होगा,
जो इस सृष्टि के लिए हितकारी होगा।

ये होती है आध्यात्मिकता।
ये होती है जितेन्द्रियता।
ये होती है उच्चता ,श्रेयता।

हर उस सुंदरता को बिना विचलित हुए,
एकत्व भाव से देखना सिखाता है, हमारा वेदांत।
और इसे ही मुक्ति , कैवल्य, निर्वाण के रूप में भी देखा जाता है।

इस स्तर तक पहुंचना मुश्किल होता है, नामुमकिन नहीं।


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