यौवन
यौवन!
सुन रहें हैं, बिना सुने
बुन रहें हैं, बिना बुने
खीज रहें हैं, बिना खीजे
जीत रहें हैं, बिना जीते
जी रहें हैं, बिना जीये
हार रहें हैं, बिना हारे
कह रहें हैं, बिना कहे
सह रहें हैं, बिना सहे
समझ रहें हैं, बिना समझे
भटक रहें हैं, बिना भटके
यह कैसा हल्कापन जीवन में!
जीवन हल्का ही रहना चाहिए...
जवाब देंहटाएंदृष्टिकोण विचारो की उच्चता का है। हमारा वेदांत यही कहता है।
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