गाँठ बांध लो

 जब गैर जीवन-गतियों का निर्धारण करेंगे!

चलने से ज्यादा तुमको रुकना होगा, गाँठ बांध लो।


अगर लोक मर्यादाओं का सोच;

मौन का आश्रय थामा,

तो स्वप्न को कैसे पहनाओगे अमली जामा!

अगर स्वयं की शक्ति न पहचाने..

तो अंधेरे के सम्मुख तुमको झुकना होगा, गाँठ बांध लो।


अगर तपकर;

तुमने अपना व्यक्तित्व गढ़ा है, 

तो क्या फर्क! कि दूसरों ने तुमको कैसा पढ़ा है।

अगर बाहर वालों की सुनकर स्वयं को बदला,

तो अवश्य ही स्वत्व को चुकना होगा, गाँठ बांध लो।


मिथ्या बोल के बल पर, खड़ी इमारत ढह जायेगी,

औ सत्यता से लिखी कहानी, खंडहर बनके रह जायेगी।

अगर चढ़ा लिए मुखौटे, तो छद्मावरण करना होगा

और सत्य से लुकना होगा, गाँठ बांध लो।


- अवधेश तिवारी 



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